MOTIVATIONAL STORY FOR POSITIVE THINKING IN HINDI
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आज का आर्टिकल इस बात पर आधारित है। कि मनुष्य जीवन में किस प्रकार से खुद ही परेशान होता है ।उसकी सोच ही उसके दुख का कारण बन जाती है जिस कारण हो हमेशा जीवन भर दुखी रहता है। आज इसी बात को लेकर शब्द से परेशानीयहां पर हम एक छोटी सी कहानी के रूप आर्टिकल पेश कर रहे हैं। जिससे हमें एहसास होगा कि हमारी सोच जैसी होगी वैसा ही हमारा मन दिमाग और जीवन होगा।
"स" शब्द से परेशानी -
आपके पड़ोस में एक सज्जन रहते हैं ।नाम है उनका श्याम सुंदर श्रीवास्तव। एक बार एक सड़क छाप ज्योति ने उनका हाथ पकड़ा और देख कर कहा कि बेटा जी आप स शब्द से सावधान रहना। यह तुम्हारे लिए बहुत मनहूस है और तुम्हारी मृत्यु भी स शब्द से होगी। स शब्द तुम्हारे लिए कॉल साबित होगा। अब श्याम सुंदर श्रीवास्तव जी चिंता में पड़ गए। उन्होंने सोचा कि स शब्द से दूर ही रहना चाहिए।
इसलिए उन्होंने गंभीरता से लिया और उन्होंने स शब्द से सावधानी बरतनी शुरू कर दी। उन्होंने अपने मित्रों सत्य सुधीर संदीप शिकार संजय जितने भी स ,शब्द से दोस्त सभी को छोड़ दिया। सब्जी आदि से त्याग कर दिया। साइकिल से जाने से घबराने लगे।उन्होंने सोचा शायद शायद हो जाए सोमवार शुक्रवार शनिवार7,17, 27 तारीख को सावधान रहने लगे। सरकारी नौकरी छोड़ दी।
एक बार उनके लिए एक रिश्ता आया खुशी खुशी हां कर बैठे मन ही मन लड्डू फूट रहे थे। अब हमारी शादी होगी शहनाई बजेगी सगाई होगी ससुराल जाना पड़ेगा ससुर साला साली सरहज होगी। बारातियों का स्वागत चाय समोसे से होगा।हम अपनी बीवी के साजन होंगे और उनकी बीवी उनकी सजनी होगी संतान होगी बाप रे इतने सारे स, उन्होंने डर के मारे शादी से इंकार कर दिया।
नाम भी श्याम सुंदर था अब क्या सोचे मन में सोच रहे कि कैसे बचा जाए । एक बार श्याम सुंदर जी सहारनपुर जा रहे थे। स्टेशन का नाम सुनते ही डर गये। श्याम सुंदर जी सोच रहे आज उनकी समाधि बन जाएगी। राम-राम करके स्टेशन पहुंचने पर गाड़ी का नाम सुनते ही डर गये। गाड़ी का नाम शालीमार एक्सप्रेस था। उन्हें लगा गाड़ी नहीं यमदूत आ रही है जो उन्हें पर लोग ले जाने के लिए आए हैं। श्याम सुंदर जी बहुत डर रहे हैं तोबा तोबा करके गाड़ी स्टेशन से चली गई तो घोषणा हुई सहारनपुर एक्सप्रेस आ रही है। अब तो उन्हें और पसीने छूटने लगे ट्रेन में घुस गए तो पता चला की सीट पर बैठना है कहां तक मैं स शब्द से सावधान रहूं । सिगरेट शराब पीता नहीं आखिर कहां तक सावधान रहूं सांस तो लेनी पड़ेगी।
कहने का मतलब यह है कि जिस बात को जिस तरीके से जिस नजरिए से देखेंगे हम वैसे ही होते चले जाएंगे। अगर श्याम सुंदर जी स शब्द को सौगात समझ लेते तो जीवन में परेशान नहीं होते। कहने का मतलब यह है की कठिनाइयां बहुत सी आती हैं.
लेकिन हमारा नजरिया ऐसा होना चाहिए कि उन कठिनाइयों को अच्छाइयों में बदलने की ख्वाहिश होनी चाहिए। जिससे हम अपने जीवन को सुखमय और परिवारिक,सामाजिक तालमेल वाला बना सकते हैं। और सुंदर जीवन जी सकते हैं। तो यह थी श्याम सुंदर श्रीवास्तव की रोमांचक छोटी सी कहानी। जिससे हमें सीख लेनी है कि जिस तरह की हमारी सोच होगी, जैसा हमारा नजरिया होगा हम उसी तरह के बन जाएंगे। और यह सब हमारे खुद के निर्भर करता है।
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